मालाबार
नीम
परिचय
मालाबार नीम का पेड़ नगदी परिवार
से संबंध रखने वाला पौधा है| इस क़िस्म का सर्वाधिक उत्पादन ऑस्ट्रेलिया में होता है, तथा भारत के दक्षिण
पूर्वी एशिया में भी इसे उगाया जाता है| यह एक एग्रोफोरेस्ट्री प्रजाति
का पौधा है, जिसकी
खेती में कई अन्य फसलों की बुवाई भी की जा सकती है| किसान भाई मालाबार की खेती के
साथ हल्दी, ग्राउंड
नट, गन्ना, मिर्च, पपीता, काले चने और खरबूजे
की खेती भी सफलतापूर्वक करते है| इसका पौधा 2 वर्ष में ही 40 फ़ीट तक बढ़ जाता है, जिस वजह से इसे तेजी
से विकास करने वाला पेड़ भी कहते है| भारत के तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और केरल
राज्य के किसानो ने मालाबार नीम के पेड़ो को उगाना भी आरम्भ कर दिया जाता है|
इसे सस्ती लकड़ी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है| सिंचित क्षेत्रों में इसके पेड़ो को उगाकर 5 वर्ष में कटाई
कर सकते है, और प्लाई बनाने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते है| यह एक ऐसा पेड़ है, जिसे किसी भी मिट्टी में या कम सिंचित जगह
पर भी कर सकते है| जिस वजह से किसान भाई मालाबार नीम की खेती
करने के लिए कदम बढ़ा रहे है|
मालाबार नीम के अन्य भाषाओँ में नाम
मराठी – कुरीपुत, गुजराती –
कडुकाजर, तेलुगु – मुन्नतीकरक्स, तमिल – मलाई वीम्बु, कन्नड़ – हेब्बेबेटल, करिबवम, मलयालम –
मालवम्बु, उड़िया – बत्रा और इसे मेलिया दुबिया भी कहा जाता है।
मालाबार की खेती के लिए आवश्यक
भूमि व जलवायु (Malabar Cultivation Required
Land and Climate)
मालाबार
के पौधों को वृद्धि करने के लिए किसी खास तरह की मिट्टी की जरूरत नहीं होती है, इसे किसी भी मिट्टी
में ऊगा सकते है| इसके
पोधे गहरी उपजाऊ रेतीली दोमट मिट्टी व उथली बजरी मिट्टी में ठीक से विकास करते है| इसकी खेती में भूमि
का P.H. मान भी सामान्य हो| मालाबार नीम के बीजो की रोपाई के
लिए मार्च से अप्रैल का महीना सबसे अच्छा माना जाता है|
मालाबार नीम के बीजो का उपचार (Malabar
Neem Seed Treatment)
मालाबार
नीम के बीजो को खेत में लगाने से पहले उन्हें उपचारित करना जरूरी होता है| इसके लिए गाय के गोबर
का घोल बनाकर उसमे बीजो को एक दिन के लिए डालकर रख दिया जाता है| बीजो को उपचारित करने
के बाद उन्हें नर्सरी बेड के ऊपर बो दिया जाता है| जिसके बाद उन्हें अंकुरित होने
में 1 से
2 महीने
का समय लग जाता है, तथा
अंकुरण अवस्था को पूरा करने के लिए 6 महीने लग जाते है| इस दौरान पौधों को
नियमित रूप से पानी देना होता है|
मालाबार नीम के वृक्षारोपण का
प्रबंधन (Malabar Neem Plantation Management)
मालाबार
के पौधों को लगाने के लिए 8×8 मीटर की दूरी को सबसे अच्छा माना गया है| इसके अलावा इन्हे 5×5 मीटर की दूरी पर भी
लगा सकते है| पौधों
का विकास तेजी से हो सके इसके लिए पानी की पूर्ण व्यवस्था होनी चाहिए| आरम्भ में मालाबार
नीम के खेत में नमी बनाये रखने के लिए पानी देते रहना होता है, तथा तीन महीने में एक
बार खेत में उवर्रक जरूर दे| अधिक बारिश की अवस्था में विकास गति धीमी पड़ जाती है|
मालाबार के पौधों की सिंचाई (Malabar
Plants Irrigation)
मालाबार
के पौधों को सामान्य सिंचाई की जरूरत होती है| इसके लिए पौधों को 10 से 15 दिन के अंतराल में
पानी देना होता है| यदि
बारिश का मौसम है, तो
जरूरत पड़ने पर ही पौधों को पानी दे|
खरपतवार
नियंत्रण
खरपतवार की
रोकथाम के लिए निराई गुड़ाई करें और खेत को साफ रखें। गुड़ाई से हवा का बहाव और जड़ों
का अच्छा विकास होता है। और अगर खेत में पौधों को 9x9 दुरी पर लगाते है तो बीच में खाली पड़ी जगह में दूसरी फसल लगा सकते है जिससे
खरपतवार नियंत्रण और पौधों को पानी की आवश्यकता भी पूरी हो सकती हैं।
मालाबार नीम के पेड़ो का उपयोग (Malabar
Neem Trees Uses)
मालाबार
नीम के पेड़ो का उपयोग अनेक प्रकार की चीजों को बनाने के लिए करते है| इसकी लकड़ी का
इस्तेमाल अनेक प्रकार के फर्नीचर, पैकिंग बॉक्स और क्रिकेट स्टीक को बनाने में करते है|
इस
लकड़ी को प्लाईवुड उधोग में अधिक इस्तेमाल करते है| कृषि संबंधित, उपकरण, तिल्लियों, पेन्सिल और पैकिंग
बॉक्स को बनाने के लिए इस्तेमाल में लाते है| दीमक रोग इस लकड़ी पर बहुत कम
देखने को मिलता है|
मालाबार नीम की पैदावार और लाभ (Malabar
Neem Yield and Benefits)
मालाबार
नीम के पेड़ो को तैयार होने में 6 से 8 वर्ष का समय लग जाता है| जिससे किसान भाई कुछ सालो में ही
लाखो की कमाई कर सकते है| चार
एकड़ के खेत में तक़रीबन 5 हज़ार
पेड़ो को लगाया जा सकता है| इसके
अलावा बाहरी किनारो पर भी 2 हज़ार
पेड़ तक लगाए जा सकते है| इसके
वृक्ष 6 से
8 वर्ष
में कटाई के लिए तैयार हो जाते है| किसान भाई 4 एकड़ के खेत में
मालाबार नीम के पौधों को लगाकर 8 वर्ष में 50 लाख तक की कमाई कर सकते है|